महाराष्ट्र: आखिर चाणक्य पवार के दिमाग में क्या चल रहा है?

महाराष्ट्र की सियासी उठापटकों से सारा देश वाकिफ है। पहले शिवसेना में टूट और अब NCP में टूट के बाद अजित पवार का NDA सरकार में उपमुख्यमंत्री बनना, शरद पवार और भतीजे अजित गुट में एक दूसरे के खिलाफ बयानों की बौछार और अब अचानक से सब कुछ ठंडा पड़ जाना और चाचा-भतीजे समेत दोनों गुटों के नेताओं की बार बार होने वाली मुलाकातें, इस सब से महाराष्ट्र की जनता असमंजस में है।

वो जयंत पाटिल जिन्होंने अजित पवार, प्रफुल्ल पटेल, सुनील तटकरे समेत कुछ विधायकों को कुछ दिनों पहले सस्पेंड किया था, और वो सुनील तटकरे जिन्हें जयंत पाटिल की ही तरह अजित गुट ने प्रदेश अध्यक्ष बना रखा है, ये दोनों ही एक दूसरे पर मुखर रहे और एक दूसरे के गुटों के नेताओं को सस्पेंड करने में व्यस्त थे। मगर, पिछले दिनों इन दोनों नेताओं की सौहार्दपूर्ण मुलाकात हुई और दोनों गुट एक दूसरे के प्रति नरम पड़ गए।

हालांकि एक ओर NCP सांसद व शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ये बोल रही हैं कि पवार साहिब INDIA गठबंधन के साथ हैं और किसी कीमत पर BJP से समझौता नहीं करेंगे, मगर इस सबके बीच जो मेल मुलाकातों का दौर जारी है, उससे उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना और कांग्रेस पार्टी ही पवार को कटघरे में ला खड़ा कर रही हैं। 

मगर क्या पवार सच में BJP से समझौता करने वाले हैं? या कहीं ऐसा तो नहीं कि इन मुलाकातों को मीडिया द्वारा बढ़ा चढ़ा कर दिखवाना BJP की ही एक रणनीति का हिस्सा हो जिससे INDIA गठबंधन में टूट पड़ जाए? इन सब सवालों के जवाब फिल्हाल किसी के पास नहीं हैं। हां, एक बात जो साफ है वो ये ज़रुर है कि NCP में शरद पवार Vs अजित पवार में पार्टी के चुनाव चिह्न को लेकर चुनाव आयोग में लड़ाई तो ज़रुर चल रही है, हालांकि वो 3 हफ्ते आगे बढ़ चुकी है।

दूसरी ओर, चाचा भतीजे की हाल ही में हुई एक बड़े उद्योगपति के यहां मुलाकात के बाद से भी ये सवाल पूछा जा रहा है कि क्या ये दोनों गुट फिर एक होने वाले हैं और शरद पवार भाजपा से समझौता करने वाले हैं? हालांकि इस सवाल पर पवार साहेब खुद साफ कर चुके कि उनकी पार्टी भाजपा से कभी समझौता नहीं करेगी। शरद पवार की राजनीति को अगर करीब से देखें तो ये समझ आता है कि अजित गुट पर नरमी के पीछे काफी दूरगामी सोच है।

महाराष्ट्र की राजनीति के चाणक्य के लिए अपने भतीजे को पटकनी देना कोई बड़ी बात नहीं होती, मगर फिर भी ये नरम रुख साफ करता है कि शरद पवार के दिमाग में दो बातें चल रही है -

1. अगर अजित गुट का भाजपा से गठबंधन बरकरार रहता है और लोकसभा की 48 सीटों में उसे भी भाजपा सम्मानजनक सीटें दे देती है, तो हो सकता है उसमें कई सीटों पर अजित गुट को जीत मिले।

2. इसी तरह शरद पवार गुट की NCP को INDIA गठबंधन में भी कुछ सीटों पर जीत मिलने की संभावना है।

ऐसे में हो सकता है कि शरद पवार ये सोच रहे हों कि अगर लोकसभा चुनावों के बाद BJP को स्पष्ट बहुमत ना मिला तो अजित गुट को उसी तरह वापस बुलाकर भाजपा को झटका दे दिया जैसा देवेंद्र फडणवीस को एक दिन के लिए मुख्यमंत्री बनवाकर दिया था।

दूसरा ये, कि अगर केंद्र में भाजपा की अपने दम पर ही स्पष्ट बहुमत की सरकार बन जाती है, तो दोनों गुटों में पर्दे के पीछे ही एक समझौता हो जाए, जिससे NCP के कुल सांसदों की संख्या भी अच्छी खासी हो जाए और उसके नेता ED-CBI की रडार से बच जाएं। हालांकि लोकसभा चुनावों के कुछ ही महीनों बाद विधानसभा के चुनाव भी हैं, तो उन्हें लेकर शरद पवार की क्या रणनीति है वो उनके अलावा कोई नहीं जानता।

मगर फिल्हाल के ज़मीनी हालात देख कर ये कहा जा सकता है कि शरद पवार और अजित पवार गुट के बीच कोई तो खिचड़ी पक रही है। राजनीति में शरद पवार कितनी दूर की सोचते हैं इससे भी सभी वाकिफ हैं, ऐसे में महाराष्ट्र की राजनीति में आने वाले समय में दिलचस्प उठापटक देखने को मिलने की संभावना है। 

- तनिष्क ए. चौबे
राजनीतिक कंसल्टेंट व विश्लेषक

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