कृषि कानूनों की वापसी - सही या ग़लत?
देश में एक बेहद एैतिहासिक आंदोलन चला, यूपी, पंजाब-हरियाणा की बॉर्डर पर किसान बैठे, 700 से अधिक किसानों ने भी जाने गंवाई, पूरा कि केंद्र सरकार को तीनों कृषि कानून वापस लेने पड़े। मगर जब यह कानून आए थे तब भी, और वापस हुए तब भी, लोग तमाम तर्कों के साथ इन फैसलों को सही और गलत ठहरा रहे हैं। हालांकि आरएलएस का किसान विंग पहले दिन से ही इन कानूनों के विरोध में रहा। भारतीय किसान संघ के महासचिव बद्री नारायण चौधरी ने कहा है कि यह विधेयक उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने वाला है और इससे किसानों का जीवन और मुश्किल होने वाला है। चौधरी ने कहा कि - भारतीय किसान संघ किसी सुधार के विरोध में नहीं है। पर इन विधेयकों पर किसानों की असल चिंताएं हैं। उन्होंने बताया कि अब जिसके पास भी पैन कार्ड है, वही व्यापारी बन कर सीधा किसान से डील कर सकता है। सरकार को ऐसा कानून बनाना चाहिए, जिससे यह तय हो सके कि जब उसका उत्पाद खरीदा जाएगा, उसी वक्त उसे पेमेंट हो जाएगा या फिर सरकार उसके पेमेंट की गारंटर बनेगी। चौधरी ने बताया कि देश के 80 फीसदी किसान छोटे या मध्यम वर्ग के हैं। इसलिए एक भारत-एक बाजार का नारा उनके लिए