खराब ईवीएम है या फिर कांग्रेस का संगठनात्मक ढांचा?

देश में जब जब चुनाव होते हैं, ईवीएम का मुद्दा सतह पर आता ही है। ये सिलसिला असल में 2009 में शुरू हुआ था जब केंद्र में भाजपा की हार हुई थी। उस वक्त मौजूदा प्रधानमंत्री मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे, और अपने राजनीतिक गुरू श्री लालकृष्ण आडवाणी के साथ "ईवीएम हटाओ लोकतंत्र बचाओ" का समर्थन किया करते थे। उस समय भाजपा के दिग्गज नेता जीवीएल नरसिम्हा राव ने "Democracy at Risk" नाम से एक किताब भी जारी की, जिसका भाजपा समेत आरएसएस ने सारे देश में प्रचार किया और ये पूछा गया, कि - "जब अमरीका, यूरोप, रशिया जैसे विकसित देश ईवीएम इस्तेमाल नहीं करते तो कांग्रेस की यूपीए सरकार और चुनाव आयोग को इस मशीन से इतना प्रेम क्यों है?" साथ ही तब विपक्ष ने कांग्रेस की बड़ी जीत के पीछे ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप लगाया था। सन 2013 में जब मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भाजपा को श्री नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का चेहरा घोषित करने के बाद बड़ी जीत मिली, तब वही ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप कांग्रेस ने भाजपा पर लगा दिया, हालांकि गौर करने वाली बात ये है कि तब केंद...